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ताजा साँसें और चमचमाते दाँत आपके व्यक्तित्व को निखारते हैं ।
दाँतों से आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।
हमारे मसूढ़ों और दाँतों के बीच बैक्टीरिया मौजूद होते हैं ।
ये दाँतों को गंदा और साँसों को बदबूदार बना देते हैं ।
यहाँ दिए कुछ आसान नुस्खों की मदद से आप अपने दाँतों को स्वच्छ और साँसों को ताजा रख सकते हैं ।
दाँतों को ठीक से साफ करें ।
दाँतों को ठीक से साफ करने में दो से तीन मिनट का समय लगता है ।
लेकिन ज्यादातर लोग इसके लिए एक मिनट से भी कम समय देते हैं ।
खूब पानी पीएँ ।
मुँह सूखने पर बैक्टीरिया हमला तेज कर देते हैं ।
इससे साँसों से बदबू आने लगती है ।
खूब पानी पीने से न केवल खाने के बचे - खुचे टुकड़े साफ हो जाते हैं , बल्कि लार भी बनती है ।
मुँह साफ रखने में लार की खास भूमिका होती है ।
लार उन बैक्टीरिया को नष्ट करती है जो साँसों में बदबू पैदा करते हैं ।
चबाएँ शुगर रहित चुइंग गम ।
चुइंग गम चबाने से लार बनती है ।
चुइंग गम से दाँतों को साफ रखने में मदद मिलती है ।
शुगर युक्त गम को सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता ।
इसलिए डेंटिस्ट शुगर युक्त गम को खाने की सलाह नहीं देते ।
नियमित रूप से कराएँ दाँतों की जाँच ।
दंतचिकित्सक से दाँतों की जाँच नियमित रूप से कराएँ ।
वे दाँतों की छोटी - मोटी समस्या को आसानी से सुलझा देते हैं ।
खाने के बाद मुँह साफ करें ।
हर बार खाने के बाद पानी से मुँह जरूर साफ करें ।
इससे खाने के बचे हुए टुकड़े साफ हो जाते हैं ।
नींबू और नमक के मिश्रण से दाँत साफ करें ।
एक चम्मच में नमक लेकर उसमें तीन से चार बूंदें नींबू की डाल लें ।
हर हफ्ते इस मिश्रण से दाँतों को साफ करें ।
इससे न केवल दाँत चमचमाने लगते हैं ।
बल्कि साँसों की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलता है ।
सेहत है तो सब है ।
आज की व्यस्त जिंदगी में खुद को स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं ।
लेकिन खान-पान पर ध्यान और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाकर आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं ।
कम वसायुक्त आहार का करें सेवन ।
खाना वही खाएँ जिसमें कम वसा और फाइबर ज्यादा हो ।
फलों और सब्जियों में ऐसा ही अनुपात रहता है ।
कम वसा और फाइबर वाले खाने से वजन नियंत्रित करने में मदद मिलती है ।
कम वसा और फाइबर वाले खाने से आप कई बीमारियों से भी दूर रहते हैं ।
नमक और शराब का सेवन कम करें ।
ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने के लिए नमक और शराब का सेवन कम से कम मात्रा में करें ।
बंद करें धूम्रपान ।
धूम्रपान करने से कैंसर समेत कई बीमारियों का खतरा होता है ।
इसे छोड़ने की पूरी कोशिश करें ।
रोज करें व्यायाम ।
अपनी रोज की दिनचर्या में व्यायाम को जरूर शामिल करें ।
नियमित व्यायाम से आप हृदय रोग , कोलन कैंसर , ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचाव कर सकते हैं ।
करते रहें हल्की - फुल्की शारीरिक गतिविधियाँ ।
सीढ़ी चढ़ना , बागवानी , घर के छोटे - मोटे काम या डांस करने जैसी हल्की - फुल्की शारीरिक गतिविधियाँ जरूर करते रहें ।
इनसे शरीर में लचीलापन बना रहता है ।
यदि लगातार बुखार आ रहा है तो उसकी जाँच अवश्य करायें ।
मलेरिया , कालाजार , यक्ष्मा की शुरुआत बुखार से ही होती है ।
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है ।
बासी भोजन व सड़क किनारे बिकने वाले सामान का सेवन नहीं करें ।
बच्चों को फास्ट फूड , कुरकुरे , आइसक्रीम नहीं खिलायें ।
कै-दस्त होने पर नमक और चीनी का घोल या ओ.आर.एस पिलायें ।
साफ पानी अधिक से अधिक पीयें ।
लगातार बुखार से पीड़ित हो ?
कालाजार , मलेरिया या फिर हाई फीवर हो सकता है ।
मेरा बच्चा दस्त और बुखार दोनों पीड़ित है ?
पहले ओ.आर.एस. का घोल पिलायें , इसके बाद बच्चे को किसी शिशु रोग विशेषज्ञ से शीघ्र दिखायें ।
ढाई - तीन वर्षो से हर दो - तीन माह पर फीवर हो जाता है ।
यही नहीं जीभ पर सफेद परत जम जाती है ।
पानी की मात्रा ज्यादा लें और यूरीन कल्चर जाँच करायें ।
कालाजार के प्रारंभिक लक्षण क्या हैं ?RD_PUNC
कुछ दिनों से हल्का फीवर रहता है ।
बुखार की जाँच करें और अन्य जरूरी जाँच के पश्चात ही कालाजार प्रमाणित हो सकता है ।
मेटासिन की गोली देने से बुखार उतर जाता है और फिर 103 तक बुखार चढ़ जाता है ।
एक्सरे , टीसी-डीसी नार्मल है ।
चार - चार घंटे पर फीवर को मापें ।
अगर 100 से ज्यादा फीवर हो तो पैरासीटामोल की गोली दें और किसी औषधि विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें ।
एच.आई.वी. क्या है ?
यह कैसे होता है ?RD_PUNC
बचाव के उपाय बताएँ ?
यह एक प्रकार का वायरस होता है ।
इसका फैलाव मुख्यत: असुरक्षित यौन संबंध , संक्रमित सूई , संक्रमित रक्त व माँ से बच्चों में होता है ।
इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है ।
बोन टीवी की क्या पहचान है तथा इसका क्या इलाज है ?
हड्डियों में दर्द , लगातार बुखार , भले ही यह कम क्यों न हो या बुखार शाम में बढ़ जाये , दर्द के साथ-साथ हड्डियों में विकृति आ जाये तो यह बोन टीबी का लक्षण है ।
इससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और गलने लगती हैं ।
इस परिस्थिति में लकवा भी मार सकता है ।
इसकी जाँच के लिए डिजिटल एक्सरे , एम.आर.आई. करायें , टीबी की दवा एक वर्ष तक लें एवं विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें ।
रात में सोते समय शरीर पर एक चादर जरूर रखे एवं पंखा कम से कम चलायें ।
इससे अगर अपने आप सही महसूस नहीं करते हैं तो एन्टीएलर्जिक टेबलेट दस दिनों तक लें ।
बच्चों को घमौंरी हो रही है क्या करें ?
डायरिया का घरेलू उपचार क्या है ?
एक गिलास पानी में दो चम्मच चीनी एवं एक चुटकी नमक डालकर उबालकर दें ।
धूप के कारण क्या कालाजार रोग होता है ?
क्या गर्मी में इसका प्रकोप बढ़ जाता है ?
कालाजार बालू मक्खी के काटने से होता है ।
इसका उपचार सभी अस्पतालों में है ।
इसके लिए अब टेबलेट भी उपलब्ध हैं ।
किसी बच्चे को कुकुर खाँसी हो जाये तो क्या करना चाहिये ?
बच्चे को डीपीटी का टीका लगायें ।
किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से दिखायें तथा खाँसी के लिए बलगम की जाँच करायें ।
अपनी आँखों की देखभाल को लेकर आप कितने जागरूक हैं ?
हर छह माह में करें आँखों की जाँच ।
चश्मे या कांटैक्ट लेंस का रखरखाव करें ।
नियमित आँखें धोना ।
लेकिन इन सबके साथ अगर आप अपने खान -|RD_PUNC पान पर थोड़ा सा ध्यान दें ।
तो न सिर्फ आपकी आँखों की रोशनी बेहतर हो सकती है ।
बल्कि आप नेत्ररोगों से भी बचे रहेंगे ।
लिवरपूल यूनिवर्सिटी के आप्थैमोलॉजी विभाग के अध्यक्ष व विख्यात नेत्ररोग शोधकर्ता डॉ. इयान ग्रीयरसन कहते हैं ।
कि खाने में विटामिन-सी और ओमेगा-3 तेलों व कुछ विशेष पौधों की मात्रा बढ़ाने से आमतौर पर अंधेपन का कारण बनने वाले मोतियाबिंद व ग्लूकोमा जैसे रोगों से बचा जा सकता है ।
तो आइए जानते है कि नजर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैसा हो आपका आहार ।
नजर तेज बनी रहे , इसके लिए आपको चाहिए की अपने आहार में आप हरी सब्जियाँ शामिल करें ।
पालक , ब्रोकोली , अंकुरित अनाज खाना इस लिहाज से फायदेमंद साबित हो सकता है ।
इसमें ल्यूटिन , जीजेनथिन जैसे दो अहम तत्व होते हैं , जो नजर को तेज बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं ।
अमेरिकी नेशनल आई इंस्टीट्यूट के 6 साल के अध्ययन में यह साबित हुआ है कि यह तत्व बुजुर्गों को अंधेपन से बचाते हैं ।
अमेरिकी नेशनल आई इंस्टीट्यूट के 6 साल के अध्ययन में यह साबित हुआ है कि यह तत्व बुजुर्गों को अंधेपन से बचाते हैं ।
नाश्ते में रोज दो या तीन अंडे जरूर खाएँ ।
बिलबैरी या ब्लैकबैरी एंथोसाइनिन अंधेपन या मोतियाबिंद से बचाती है ।
शोध में यह भी पाया गया है कि यह आँखों में खून और पोषक तत्व पहुँचाने वाली कोशिकाओं को मजबूत बनाती हैं ।
इसलिए नाश्ते या फ्रूट सलाद के साथ आप बिलबैरी या ब्लैकबैरी भी खा सकते हैं ।
अगर आप मांसाहारी हैं तो आँखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए मछली का सेवन करने से अच्छा कोई उपाय नहीं ।
मछली खाने से न केवल आपकी त्वचा , बाल , दिमाग स्वस्थ रहता बल्कि नजर भी तेज होती है ।
मछली में पाया जाने वाला ओमगा-3 फैट आँखों को ग्लूकोमा और बुढ़ापे में नजर कमजोर होने का खतरा कम करता है ।
यही नहीं , यह आपको ड्राय आई सिंड्रोम से बचाता है ।
एक अन्य अध्ययन में बताया गया है कि ड्राय आई सिंड्रोम जैसे नेत्र समस्या से परेशान महिलाएँ हफ्ते में पाँच बार ट्यूना मछली खाकर , इस तकलीफ को 68 फीसदी कम कर सकती हैं ।
भारतीय व्यंजनों में मेवे आदि का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है ।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि बादाम , काजू , अखरोट , किशमिश आदि यह सारे मेवे पौष्टिक होने के अलावा आँखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं ।
इनमें विटामिन ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है , जो न केवल मोतियाबिंद , कई प्रकार के अंधेपन और अन्य नेत्र रोगों से बचाने के अलावा पराबैंगनी किरणों से पहुँच रहे नुकसान से भी आँखों की रक्षा करता है ।
रोज नाश्ते या खाने के समय मीठे में मेवे की कतरन बुरक के खाना शुरू कर दें ।
बात वजन घटाने की हो या त्वचा की देखभाल की , खाने में ताजे फल खाने की सलाह सभी मामलों में दी जाती है ।
तो भला , आँखों के लिए क्यों इन्हें छोड़ा जाए ।
विटामिन-सी से भरपूर आहार लेने से ग्लूकोमा , मोतियाबिंद और अंधेपन का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है ।
आँखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आहार में फल सब्जियाँ शामिल करना काफी है ।
इन्ही चीजों को अपने आहार में शामिल कर आप आँखों को कमजोर होने से बचा सकते हैं ।
इसके अलावा दूध पीना , गाजर खाना भी फायदेमंद साबित होता है ।
विटामिन-ए से भरपूर आहार लेना भी आँखों को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है ।
खान-पान में बरती गई थोड़ी सी सावधानी भी आपकी आँखों में नई जान डाल सकती है ।
योग से काबू हो सकता है लकवा ।
पक्षाघात - आमतौर पर शरीर के दाएँ या बाएँ भाग की मांसपेशियों व नसों की क्रियाशीलता एवं गतिशीलता कम या समाप्त हो जाती है तो इस समस्या को लकवा या पक्षाघात कहते हैं ।
पक्षाघात आधे शरीर , संपूर्ण शरीर या केवल चेहरे तक होता है ।
इस समस्या का प्रमुख कारण उच्च रक्तचाप का अधिक बढ़ना , मस्तिष्क में रक्त का थक्का बनना अत्यंत हर्ष या विषाद की स्थिति आदि है ।
यौगिक अभ्यास से इस रोग पर निश्चित ही विजय प्राप्त की जा सकती है ।
हालांकि योग पक्षाघात की समस्या का स्थायी समाधान करता है , लेकिन यह समय लेता है एवं श्रमसाध्य है ।
इसलिए शुरू में औषधियों का सेवन किया जाए और साथ में योग का अभ्यास किया जाए ।
यहाँ पर पक्षाघात हेतु प्रमुख यौगिक निदान प्रस्तुत हैं ।
प्रारंभ सूक्ष्म व्यायाम से करो ।
इसका अभ्यास लेट कर ही किया जा सकता है ।
उसके बाद जैसे-जैसे स्थिति सुधरती जाए , अभ्यास में पवनमुक्तासन , वज्रासन , शशांकासन , मकरासन आदि जोड़ लें ।
ओनिकोमाइसिस क्या हैं ?
जब स्थिति और सुधर जाए तो अभ्यास में जानुशिरासन , सुप्तवज्रासन , त्रिकोणासन , उत्तानपादासन , गोमुखासन तथा अर्धमत्स्येंद्रासन आदि को जोड़ लें ।
यहाँ पर जानुशिरासन के अभ्यास की विधि प्रस्तुत है - दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएँ ।
दाएँ पैर को घुटने से मोड़कर इसके तलवे का बाएँ पैर की जंघा से सटा दें तथा एड़ी जननेंद्रिय के नीचे रखें ।
दोनों हाथों को बाएँ पैर के पंजे के पास ले जाते हुए आगे की ओर इतना झुकें कि सिर जमीन को स्पर्श करे ।
इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रखकर वापस पूर्व स्थिति में आएँ ।
यही क्रिया दूसरी तरफ भी करें ।
साइटिका एवं स्लिप डिस्क के रोगी इसका अभ्यास न करें ।
मस्तिष्क तथा केन्द्रीय तांत्रिक तंत्र को क्रियाशीलता एवं तंत्रिका तंत्र को क्रियाशील एवं संतुलित करने के लिए नाड़ीशोधन तथा उज्जायी प्राणायाम रामबाण की भूमिका निभाते हैं ।
बिनाRP_NEG\ कंभुक के इनका अभ्यास योग्य मार्गदर्शन में अपनी क्षमतानुसार करें ।
योगनिद्रा - इस समस्या का मूल कारण मानसिक तनाव तथा भावनात्मक असंतुलन है ।
मन को सारी चिंता , दुख , कष्ट तथा शोक एवं भय से मुक्त करने के लिए ध्यान सर्वश्रेष्ठ तकनीक है ।
प्रतिदिन दस से बीस मिनट तक इसका अभ्यास अवश्य करें ।
सादा , सुपाच्य , पौष्टिक आहार खाएँ , चोकरयुक्त आटे की रोटी , पुराना चावल , दलिया , मूंग की दाल खाएँ फल तथा हरी सब्जियों का सेवन करें ।
भारी , गरिष्ठ , चाय , काफी , तंबाकू , नशीले पदार्थ व उत्तेजक पदार्थों से परहेज करें ।
खट्टी चीजों के सेवन से बचें ।
नाक के नथुनों में रोज सुबह-शाम अखरोट का तेल लगाएँ ।
स्नान के बाद रोएँदार तौलिये से शरीर को ऊपर से नीचे की ओर रगडें ।
नहाने के लिए गर्म जल का प्रयोग करें ।
रोजमर्रा की जिंदगी में तकनीक के बढ़ते दखल ने हमें बेहद आरामतलब बना दिया है ।
मोबाइल फोन , इंटरनेट से जिंदगी आसान तो हुई है लेकिन इसके नुकसान भी हैं ।
कोई सूचना या रहस्य यदि एक क्लिक की दूरी पर हो , तो कोई क्यों अपने दिमाग को कष्ट देना चाहेगा ।
लेकिन आगे चलकर ये आदतें विशेष रूप से मस्तिष्क की याद रखने की क्षमता पर घातक असर डाल सकती हैं ।
दिमाग का जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे वह उतना ही तेज और सक्षम बनेगा ।
ब्रेन एक्सरसाइज इसी फंडे पर काम करती है ।
रोज का सामान्य काम जरा सा हटके किया जाए तो आपके दिमाग का हर वह हिस्सा सक्रिय होने लगेगा जिसका पहले इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा था ।
आँखें बंद करके कपड़े बदलना , कोई नया विषय या नया खेल सीखना ।
बिजली का स्विच आन करने जैसे काम के लिए सीधे हाथ के बजाय उलटे हाथ का प्रयोग करना जैसे तरीके अपनाकर दिमाग की बंद खिड़कियों को खोल सकते हैं ।
कोई बात तभी लंबे समय तक याद रहती है जब उस पर ध्यान दिया जाए ।
जो भी याद रखना है उसे गौर से पढ़ें और आगे बढ़ने से पहले आठ सेकेंड तक ध्यान केन्द्रित करें ।
फिर भी चीज कैसे याद नहीं रहती ।
कोई भी चीज याद रखने या सीखने का हर किसी का अपना तरीका होता है ।
कुछ लोग बेहतर विजुअल लर्नर होते हैं ।
यह वे लोग होते हैं जो किसी चीज को देखकर या पढ़कर सीखते हैं ।
वहीं कुछ लोग बेहतर आडियो लर्नर होते हैं जो सुनकर सीखते हैं ।
आपके लिए कौन सा तरीका सुविधाजनक है ।
इसे पहचाने और याद रखने के लिए उसी का इस्तेमाल करें ।
चाहे आप विजुअल लर्नर ही क्यों न हो याद रखने के लिए बोल कर पढ़ें ।
कविता की तरह याद करने की कोशिश करेंगे तो और भी अच्छा होगा ।
जानकारी को किसी रंग , सुगंध , स्वाद से जोड़कर याद रखने की आदत डालें ।
नई जानकारी को किसी पुरानी जानकारी से जोड़कर याद रखने का प्रयास करें ।
किसी भी जानकारी को शब्दों और चित्र के माध्यम से याद रखने का प्रयास करें ।
चार्ट , संक्षिप्त रूप में याद रखना भी मददगार साबित होगा ।
कुछ अच्छी आदतें डालकर भी दिमाग को तेज रखा जा सकता है ।
नियमित व्यायाम से मस्तिष्क को ज्यादा आक्सीजन मिलती है जिससे याददाश्त कम होने का खतरा भी घट जाता है ।
साथ ही कुछ ऐसे रासायन स्रावित होते हैं जो दिमाग की कोशिकाओं को स्रावित होने से बचाएंगे ।
तनाव दिमाग को एकाग्रचित नहीं होने देता ।
ज्यादा तनाव से हार्मोन कोर्टिसाल दिमाग के हिप्पोकैंपस को गंभीर नुकसान पहुँचाता है ।
अच्छी नींद लेने से दिमाग तरोताजा रहता है ।
नींद पूरी नहीं हो पाने से दिनभर थकावट रहती है और किसी काम में ध्यान केन्द्रित करना मुश्किल हो जाता है ।
सिगरेट पीने से मस्तिष्क तक आक्सीजन पहुँचाने वाली धमनियाँ सिकुड़ने लगती है जिससे दिमाग कमजोर होने लगता है ।
फल , सब्जियों का पर्याप्त मात्रा में सेवन सेहत के साथ दिमाग के लिए भी काफी लाभकारी साबित होता है ।
विटामिन बी , बी-12 , बी-6 , फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पालक , हरी सब्जियाँ , स्ट्राबैरी , तरबूज - खरबूज जैसे रसीले फल , सोयाबीन से याददाश्त तेज होती है ।
ये नसों को क्षति पहुँचाने वाले होमोसिसटीन को नष्ट करते हैं ।
ये लाल रक्त कणिकाएँ बनाने में मदद करते हैं जो मस्तिष्क तक आक्सीजन पहुँचाती हैं ।
टमाटर , ग्रीन-टी , ब्रोकली और शकरकंद में विटामिन-ई , सी और एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं ।
ये शरीर और दिमाग में आक्सीजन का प्रवाह बढ़ाते हैं जिससे दिमाग की सक्रियता बढ़ती है ।
मछली , अखरोट और बादाम खाने से भी दिमाग तेज होता है ।
एच.आई.वी. का अर्थ है ’ ह्यूमन इम्यूनो-डेफिशिएंशी वायरस ’ ।
एच.आई.वी. शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली को आघात पहुँचाता है ।
प्रतिरक्षण प्रणाली हमारे शरीर के भीतर ऐसी व्यवस्थाओं का तंत्र है , जो संक्रमण से हमारी रक्षा करता है ।
प्रतिरक्षण प्रणाली सुरक्षा तंत्र शरीर में रोगवाहकों या ’ बाहरी हमलावरों ’ जैसे वायरस , बैक्टीरिया , आदि की पहचान करता है और उनका खात्मा करता है ।
’ एच.आई.वी. ’ एक वायरस है जो प्रतिरक्षण प्रणाली , विशेषकर सीडी-4 कोशिकाओं पर हमला करता है और उन्हें नष्ट कर देता है ।
सीडी-4 कोशिकाएँ विभिन्न रोगों से शरीर की रक्षा में मदद करती हैं ।
क्या होता है , जब किसी व्यक्ति को एच.आई.वी. संक्रमण हो जाता है ?
सीडी-4 कोशिकाओं में घुसकर एच.आई.वी. प्रजनन के जरिए अपनी संख्या बड़ी तेजी से बढ़ाता है और इस दौरान कोशिका में नये वायरस पैदा हो जाते हैं ।
इससे सीडी-4 कोशिकाएँ खंडित हो जाती हैं ।
सीडी-4 कोशिका खंडित हो जाने से अनेक वायरस रक्त-प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं ।
इसके बाद एच.आई.वी. अन्य सीडी-4 कोशिकाओं पर हमला करता है , और यह प्रक्रिया बार - बार दोहरायी जाती है ।
एच.आई.वी. ज्यादातर सीडी-4 कोशिकाओं को नष्ट कर देता है और इस प्रकार संक्रमित व्यक्ति की प्रतिरक्षण प्रणाली नष्ट हो जाती है ।
एच.आई.वी. की जाँच अवश्य कराएँ ।
एच.आई.वी. जाँच आसान , सुरक्षित तथा जन स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है ।
किसी व्यक्ति को एड्स होने पर निम्न दुष्परिणाम सामने आते हैं ।
व्यक्ति बार - बार बीमार पड़ने लगता है और निरन्तर कमजोर होता जाता है ।
व्यक्ति को बड़ी आसानी से संक्रमण होने लगते हैं ।
प्रतिरक्षण क्षमता कम होने पर ये व्यक्ति को ये संक्रमण बड़ी आसानी से दबोच लेते है ।
एड्स के साथ रह रहे लोगों का विरोध न करें ।
एच.आई.वी. और एड्स के खिलाफ़ देश की महायात्रा में शामिल हों ।
सामुदायिक सेवा केन्द्र एच.आई.वी. एड्स से संक्रमित एवं अप्रभावित लोगों के लिए हैं ।
यहाँ पर एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्तियों की सम्पूर्ण देखभाल व सहायता की जाती है , जिससे कि प्रभावित परिवार के सदस्य एक सम्मानित व सम्पूर्ण जीवन जी सकें ।
आमतौर पर पैप लड़कियों में 15 साल की उम्र के बाद होने लगता है ।
आज पेट और छाती के अनेक विकारों को दूर करने के लिए एक छोटा सा छेद ही पर्याप्त होता है और इस विधि को ’ लैपरोस्कोपिक सर्जरी ’ या ’ की होल ’ या ’ बटन होल सर्जरी ’ के नाम से जाना जाता है ।
पित्ताशय में पथरी हो जाने पर पित्ताशय निकालने के लिए ।
अपेंडिक्श में सूजन आ जाने पर अपेंडिक्श निकालने के लिए ।
पेप्टिक अल्सर की बीमारी दूर करने के लिए ।
हायाटस हर्निया को दुरुस्त करने के लिए ।
इंग्वाईनल हर्निया के उपचार के लिए ।
इस के अलावा छाती के भीतर के कुछ विकारों को भी इस विधि से दूर किया जा सकता है ।
मसलन कैंसर ( पेट का ) , लिवर की बीमारियाँ , आंत संबंधी रोग आदि ।
पारंपरिक शल्यक्रिया के मुकाबले इस विधि के अनेक फायदे हैं ।
बटन होल सर्जरी में मरीज को ऑपरेशन के पश्चात का दर्द बहुत कम होता है ।
टाँके नहीं लगे होने की वजह से अस्पताल में ज्यादा दिन रहने की जरूरत नहीं पड़ती ।